न तो हिन्दी मेरी मात्रभाषा है, न तो हिन्दुस्तान मेरी मात्रभूमि; लेकिन इस ज़माने में हम सब प्रवासी हैं, हर किसी को अपना स्थान, अपना घर खोजना पड़ता है। तो मैं इधर, इस ज़ुबान में, इस देश में अपना स्थान गढ़ने की कोशिश कर रहा हूँ।
हलांकि मैं अमेरीका का हूँ, मैंने हिन्दी में बी.ए. (बर्कली से), एम.ए. और एमफिल (जवहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय से) किये हैं और आजकल कोलम्बीया यूनिवर्सिटी से पीएच.डी. कर रहा हूँ। (मैं कोलम्बिया में हिन्दी-उर्दू पढ़ाता हूँ भी।)
‘कागज़’ मेरा पहला ब्लॉग है — उस में आप को हिन्दी में साहित्य, कला, और डिज़ाइन की ताज़ी ख़बर और नये सोच मिलेंगे। अगर आप इन विषयों को लेकर कुछ पोस्ट करवाना चाहते हैं, तो मुझ से ज़रुर सम्पर्क कर लीजिये।
बहुत बहुत बधाई सर …..कागज को उसके सार्थक और सुनहरे अक्षर मिले ….छाया
बड़ी अच्छी और सार्थक पहल है आपकी…लोग जुड़ें…बाटें… हिन्दी को और समृद्ध करे…शुभकामनायें!
शुक्रिया, सूरज जी! आप का आशिर्वाद मिला तो काम निसंदेह सार्थक रहेगा।
जानकारी के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया
टाईलर जी ब्लाग के लिए बधाई एवं साधुवाद। प्रेमसिंह राजपुरोहित जयपुर